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लेखनी प्रतियोगिता -21-Jan-2023 "साथ नहीं हम छोड़ेंगे"

है दोनों को चाहा मिलन की फिर भी रूठे बैठे हैं 

दोस्त तुम्हारे लिए तो हम कब से आंख बिछाए बैठे हैं
पिरो ले गया बातें सारी मौन अपने धागे में
कौन यह धागा मौन का पहले तोड़े सोच रहे हैं बैठे ये
मन दोनों के जुड़े हुए हैं पर अहंकार नहीं जाता है 
बार-बार वह आकर के दोनों के बीच में दूरी बढ़ाता है
हार नहीं मानेंगे दोनों इसलिए चेहरें को घुमाये बैठे हैं
है बात बड़ी दिलचस्प यहां पर यह मन भी कितना बैरी है
सुन ले दोस्त बात मेरी तू साथ ना तेरा छोड़ेंगे 
चाहे जितना झगड़ा करले चाहें गुस्सा की चादर लिपटा ले
पर सात तुम्हारा मरते दम तक इतने सस्ते में ना छोड़ेंगे
आज नहीं तो कल ये शिकवे दूर हम दोनों मिलकर कर लेंगे
सांसों की डोरी साथ चलेगी इसे नहीं हम तोड़ेंगे 
बैठे हैं विपरीत दिशा में पर दूर नहीं हम जाएँगे ....!! 

मधु गुप्ता......


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9 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:05 PM

👍👍🌺

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बहुत ही प्रेममय और भावनात्मक अभिव्यक्ति

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बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आपका😊😊

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अदिति झा

21-Jan-2023 11:07 PM

Nice 👍🏼

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Thank you

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